शुक्रवार, 14 मई 2021

प्रकृति का कर्ज़



खरीदा हुआ दाना
खरीदा हुआ पानी
खरीदा हुआ अनल-अनिल
खरीदी हुई धरणी

 
इस उधार की ज़िंदगी में
बड़ी खरीदारी कर ली हमने
इस भ्रम में कि
प्रकृति के कर्ज़ से उऋण हो जाएंगे


मगर इस संभ्रम में
सभी वित्तीय कोष 
या तो खाली हो गये या
खाली होने के कगार पर हैं
और
हम कर्ज़दार के कर्ज़दार रह गये

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