खरीदा हुआ दाना
खरीदा हुआ पानी
खरीदा हुआ अनल-अनिल
खरीदी हुई धरणी
इस उधार की ज़िंदगी मेंबड़ी खरीदारी कर ली हमनेइस भ्रम में किप्रकृति के कर्ज़ से उऋण हो जाएंगे
मगर इस संभ्रम में
सभी वित्तीय कोष
या तो खाली हो गये या
खाली होने के कगार पर हैं
और
हम कर्ज़दार के कर्ज़दार रह गये
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें