यूँ तो कुछ ख़ास नहीं लिखता मैं
लिखता हूँ जो दिल में आता है
कही अनकही, सुनी अनसुनी...
एक सामान्य-सा लड़का जिसके आसपास अगर कुछ
ऐसा घटित हो जाए जो उसे सोचने पर मजबूर कर दे तो लिखे बिना रह नहीं पाता
कभी किसी चेहरे को गौर से देखा है हर मुस्कुराहट के पीछे ग़म हज़ार हैं क्या खोया क्या पाया, हैं इसके हिसाब में लगे हुए जो है उसकी सुद नहीं, जो...