"हर आदमी में होते हैं दस-बीस आदमी जिसको भी देखना हो, कई बार देखना" ~ निदा फ़ाज़ली

शुक्रवार, 25 दिसंबर 2020

ज़िन्दगी की धुन बदल के तो देखो

कब तक सुनोगे दूसरों की
कभी अपने दिल की सुन के तो देखो
क्या हुआ गर नहीं है कोई रहबर तुम्हारा
ख़ुद पर यकीन कर रहगुज़र ढूंढ के तो देखो
ज़िन्दगी की धुन बदल के तो देखो


दुनिया बड़ी ही हसीन है
कभी प्यार से बाहें फैला कर तो देखो
सब के दिलों पर राज करोगे
नकाबपोश चेहरे से नकाब हटाकर तो देखो
ज़िन्दगी की धुन बदल के तो देखो


क्या हुआ गर सारे सुर पक्के नहीं तुम्हारे
कभी कोई साज़ छेड़कर तो देखो
क्या पता नायाब नगीना हाथ लग जाए तुम्हारे
कभी यूँ ही सैर पर निकल कर तो देखो
ज़िन्दगी की धुन बदल के तो देखो


ज़हर घोलने वाले बहुतेरे हैं इस जहाँ में
कभी मीठे बोल की चासनी घोल के तो देखो
सब के सब दिल दुखाने में माहिर हैं
कभी किसी के ज़ख्म पर मरहम लगा के तो देखो
ज़िन्दगी की धुन बदल के तो देखो


नहीं होते हर किसी के पिचहत्तर आशिक
किसी के दिल के कोरे पन्नों पर दस्तखत कर के तो देखो
ताउम्र रहेंगे तुम्हारे शुक्रगुज़ार
कभी किसी की ज़िन्दगी बयाबान से बागबान कर के तो देखो
ज़िन्दगी की धुन बदल के तो देखो


अब न जियोगे हिज्र में तुम, जल्द आएगी वस्ल की रात
इश्क़-ए-हयात में सरगम एक बार फिर गुनगुना के तो देखो
और न करना पड़ेगा इंतज़ार ए मुन्तज़िर
ताक़-ए-दिल में किसी और का चेहरा बसाकर तो देखो
ज़िन्दगी की धुन बदल के तो देखो

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