सब नेता-राजतंत्री हैं मूक
राष्ट्र-गौरव को पहुँची है ठेंस
जाने कौन ने किया कलेस
इक ओर गणतंत्र की रम्य झांकी थी
दूजी ओर पत्थर व लाठी थी
लाल किले पर ज्यूँ फ़हराया मज़हबी ध्वज
माँ भारती ने त्युँ निज ताज दिया तज
सिपाही चतुर्दिक कर रहा संघर्ष था
बाहुबली अप्लापियों ने किया विध्वंस था
आंदोलन नहीं है यह
मर्यादा लांघी है
मज़दूर किसान के भेस में
कुछ उपद्रवी उत्पाती हैं
दंगे से क्या पूरी होगी मांग?
शांति छोड़ जो रचा यह स्वाँग
कैसे हो जय जवान जय किसान?
जब तिरंगे का हुआ विश्व-भर अपमान
दुःख है, किसानों का अहित हुआ
जो हुआ अनुचित अनिष्ट हुआ
जो हुआ अनुचित अनिष्ट हुआ
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