चलो आज रंगों की बात करें
ढोल ताशे मृदंग बाजे
प्रकृति मोहक सिंगार साजे
महकी फ़िज़ाओं में प्यार पले
चलो आज खुशरंगों की बात करें
अड़चन छोड़ युक्ति सोचें
पतझड़ बीते वसंत झूमे
दिल में एक नया उमंग भरें
चलो आज रोशनी की बात करें
घृणा नहीं प्रेम दें
उर में देवाकृति उकेर दें
सबसे गले मिल
चलो अब मेल-मिलाप करें
चलो आज रंगों की बात करें
दुःस्वप्न भूल मृदु-स्वप्न जियें
कुंठा व म्लान त्याग,
चलो उत्सवों की बात करें
मौत पसरा हो भले ही क्यूँ न
चलो आज ज़िंदगी की बात करें
चलो आज रंगों की बात करें
रंग-गुलाल-सा जीवन खिले
काँटे नहीं गुलाब मिलें
मरु पे सहसा दूब उगे
आओ पुनः फूंक आशाओं की भरें
चलो आज रंगों की बात करें
हम मन-मलंग हों
निखरा हरेक अंग हो
हर रोज़ नूतन शिखर छूएं
चलो आज बुंलदियों की बात करें
चलो आज रंगों की बात करें
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